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kashi nagari pracharini sabha ki sthapna kisne ki

kashi nagari pracharini sabha ki sthapna kisne ki

less than a minute read 10-03-2025
kashi nagari pracharini sabha ki sthapna kisne ki

काशी नगरी प्रचारिणी सभा की स्थापना किसने की?

प्रस्तावना: काशी, भारत का एक प्राचीन और पवित्र शहर है, जो अपनी धार्मिक, सांस्कृतिक और शैक्षणिक विरासत के लिए जाना जाता है। काशी नगरी प्रचारिणी सभा इसी विरासत को संरक्षित और बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण संस्था है। इस लेख में हम काशी नगरी प्रचारिणी सभा की स्थापना और उसके संस्थापकों के बारे में विस्तार से जानेंगे।

काशी नगरी प्रचारिणी सभा का गठन: एक ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

काशी नगरी प्रचारिणी सभा की स्थापना 1909 में हुई थी। इस महान संस्था के पीछे कई दूरदर्शी व्यक्तियों का योगदान था, जिनमें से प्रमुख थे पं. मदन मोहन मालवीय। हालांकि, केवल पं. मालवीय को ही संस्थापक मान लेना गलत होगा। यह एक सामूहिक प्रयास था जिसमें कई विद्वानों, समाजसेवियों और काशी के बुद्धिजीवियों ने भाग लिया।

पं. मालवीय जी काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक भी थे, और काशी नगरी प्रचारिणी सभा के उद्देश्यों में विश्वविद्यालय के विकास और काशी के समग्र उन्नयन के लिए सहयोग शामिल था। उन्होंने इस संस्था के माध्यम से काशी की सांस्कृतिक, धार्मिक और शैक्षणिक विरासत को संरक्षित करने और उसे आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

सभा के उद्देश्य और कार्य:

काशी नगरी प्रचारिणी सभा के मुख्य उद्देश्य थे:

  • काशी की संस्कृति और विरासत का संरक्षण: सभा ने काशी की धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत को संरक्षित करने के लिए अनेक कार्यक्रम आयोजित किए। इसमें पुरातात्विक स्थलों का संरक्षण, पुस्तकालयों और संग्रहालयों का विकास, और प्राचीन ग्रंथों का संकलन और प्रकाशन शामिल था।

  • शिक्षा का प्रसार: सभा ने शिक्षा के प्रसार के लिए भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उसने कई स्कूलों और कॉलेजों की स्थापना में मदद की और छात्रों को शिक्षा प्रदान करने के लिए कई योजनाएँ चलाईं।

  • समाज सेवा: सभा ने विभिन्न सामाजिक कार्यों में भी भाग लिया, जिसमें गरीबों और वंचितों की मदद करना शामिल था।

निष्कर्ष:

काशी नगरी प्रचारिणी सभा की स्थापना एक सामूहिक प्रयास का परिणाम थी, जिसमें पं. मदन मोहन मालवीय का नेतृत्व और मार्गदर्शन अत्यंत महत्वपूर्ण था। यह संस्था आज भी काशी की सांस्कृतिक और शैक्षणिक विरासत को बनाए रखने और बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। इस संस्था के योगदान को समझने से हमें काशी के इतिहास और संस्कृति के प्रति गहरा सम्मान और कृतज्ञता का भाव जागृत होता है। यह केवल पं. मालवीय का ही नहीं, अपितु समस्त काशी के उन वीरों का भी प्रमाण है जिन्होंने काशी के गौरव को बनाए रखने के लिए अथक प्रयास किए।

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